सुलतानपुर। गांवो में आज भी भारत की संस्कृति रचती-बसती है।इसका उदाहरण भी पर्वो के अवसर पर अक्सर देखने को मिल जाता है। जहाँ एक तरह आज हम चकाचौंध आधुनिकता में अपनी संस्कृति खोते जा रहे हैं तो वहीं गांव ही एक ऐसा हमारा परिबेश बचा हुआ है जहाँ हमारी संस्कृति आज भी जिंदा करे हुए है। इसका जीता जागता उदाहरण होली के दिन जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र के गुरेगांव में देखने को मिला जहाँ युवाओ के साथ वृद्ध लोगो ने भी फगुआ और लोकगीत गाने को खूब गाया इस दौरान सुनने व देखने वालों का जमावड़ा लगा रहा। पूर्व प्रधान पंकज सिंह , शत्रुघ्न सिंह, संजय सिंह, केशव पांडेय, नन्हे सिंह, गप्पू सिंह, बाबूराम यादव, बालचन्द पांडेय ,समर बहादुर सिंह, गोली सिंह के गाये ‘राम सुमन्त पढ़ाये सुरसरि फूल नियराये, केवट क रमेश पुकारी, नइया हो नइया हो भला नइया हो ले आओ किनारे जाव हम पारे और ‘सुलोचन बैठी है अंगनवा भुजा आयो है सजनवा नयनवा से नीर बहाई ,पिया लिखो पिया लिखो भला हो पिया लिखो मरम अब सारी कहत सुकुमारी’ लोकगीत ने होली के अवसर पर उपस्थित लोगों को रसबोर कर दिया। इस दौरान सैकड़ो की संख्या में गांववासी मौजूद रहे।
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