–भारत ने राजनैतिक स्वतंत्रता के लिए नहीं, स्वत्व के लिये संघर्ष किया : डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी
अयोध्या । स्वतंत्रता से पहले और बाद में मातृभूमि की सेवा में बलिदान हुए सपूतों व उनके परिवारों के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करने के लिए स्वाधीनता के 75वें वर्ष अमृत महोत्सव के आयोजन कड़ी में ट्रांसपोर्टनगर में पांचों बस्तियों में रथयात्रा निकालकर श्री काली हनुमान मंदिर में समापन के समय भारतमाता की सामूहिक आरती, वंदेमातरम गायन व शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए होम्योपैथी महासंघ के महासचिव डॉ उपेन्द्र मणि त्रिपाठी ने कहा यूरोपियन व अंग्रेजों ने मतांतरण और उपनिवेश की स्थापना के उद्देश्य से ही व्यापारी के भेष में प्रवेश किया, वे जहां भी गए वहां की सभ्यता को नष्ट किया,भारत मे भी जब तक राजनैतिक और आर्थिक लूट चलती रही जनमानस सहता रहा किन्तु जब हमारी आस्था पर प्रहार हुआ तो सोया पराक्रम जाग उठा जिसने करो या मरो के नारे के साथ अंग्रेजों को भागने पर विवश कर दिया। भारत राजनैतिक स्वतंत्रता के लिए नहीं स्वत्व के लिए लड़ा इसलिए कभी नष्ट नहीं हो सकता। डॉ त्रिपाठी ने कहा वरिष्ठ लोग बताते हैं 1800 तक सन्यासियों ने भी संघर्ष किया, तत्कालीन जनपद फैजाबाद के गंजा गांव से गन्ना किसान समझौते के तहत लोगों को पकड़ कर वर्मा आदि देशों में ले गए जिसमे 30 प्रतिशत लोग रास्ते मे ही मृत्यु को प्राप्त हो गए।
फैजाबाद में राजा मानसिंह, देवीपाटन में राजा बेनीमाधव लड़े,अयोध्या के रामचन्द्र संत प्रतापगढ़ , सरयू पंडित बाराबंकी के नागेश्वर मंदिर जाकर समाज जागरण, बस्ती के राम प्रसाद सिंह ने सुभाष चन्द्र बोस की सेना में आदि ऐसे अनगिनत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उदाहरण हैं जिनका हमे कृतज्ञ होना ही चाहिए उन्ही के बलिदानों के कारण आज हम सभी स्वतंत्र हवा में सांस ले रहे हैं । उन्होंने कहा सोहावल तहसील के पूर्व विधायक के प्रयास से पासी एक्ट जिसके तहत 87 जातियों को जन्मजात अपराधी मानकर कार्यवाही करने के समाज के विघटनकारी कानून को स्वतंत्रता के बाद समाप्त किया गया। हमारे गांवों की 22 प्रतिशत जमीने मंदिरों के नाम होती थी जो तत्कालीन व्यवस्था में शिक्षा के केंद्र होते थे, मठ उच्च शिक्षा के केंद्र होते थे जिन्हें अंग्रेजो ने स्थायी बंदोबस्त कानून से नष्ट कर, भूमि के आधार पर कृषि उपज टैक्स लगाया, विद्यालयों में बाइबिल आवश्यक कर दिया था।
पूर्व सैनिक हरिश्चंद्र शर्मा ने कहा 1498 में वास्कोडिगामा के आने के बाद से ही विरोध शुरू हो गया था किंतु जब समाज में स्व जागरण हुआ तब 1857 से अंग्रेजो को स्वातंत्र्य समर का सामना करना पड़ा और गौरव की बात है कि अवध क्षेत्र के 80प्रतिशत समाज के लोगों ने संघर्ष में सेनानियों का साथ दिया। शिशिर मिश्र ने कहा सुभाष चन्द्र बोस के देश से बाहर सेना, सावरकर के देशवासियों के सैनिकीकरण, और डॉ हेडगेवार के समाज जागरण व एकता एवं लाला लाजपतराय, विपिन चन्द्र पाल, लोकमान्य तिलक, सरदार पटेल,लोहिया, जयप्रकाश नारायण आदि के संयुक्त प्रयासों से जब युवा पराक्रम के साथ उठ खड़ा हुआ तो देश विरोधी ताकतों को घुटने टेकने पड़े।
इस अवसर पर डॉ पंकज , अमन, अनीता, वैष्णोपुरम बस्ती के आर एस तिवारी, रमेश मिश्र,राकेश श्रीवास्तव, शिव प्रसाद पांडेय, सुनील तिवारी, संतोष मिश्रा, द्वारिका बस्ती के हरिश्चंद्र शर्मा, विजय शंकर, सौरभ, उत्कर्ष, अरविंद, अवधेश, अजीत गवालवंशी, गद्दोपुर दीपक पांडेय, दिलीप , मोनू, मानस बस्ती से जितेंद्र गुप्ता,शिल्पा, कीर्ति, आकांक्षा, लक्ष्मी, अंकित, गरुनानक बस्ती से रामजी, सत्येंद्र, महेंद्र, सुनील, राजेश वर्मा,अशोक मौर्य आदि उपस्थित रहे।