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बिना परीक्षा में शामिल हुए सफल हो गये अभ्यर्थी
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परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की हो रही किरकिरी
ब्यूरो। यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार में बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद के लिए करायी गयी 68, 500 पदों की भर्ती प्रकिया में विभाग व सरकार की फजीहत कम होने का नाम नहीं ले रही है जबकि विवादों में घिरी परीक्षा होने के बावजूद आनन-फानन में स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा भर्ती प्रक्रिया के सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रमाण पत्र दिये जा चुके है। वही हाईकोर्ट में इस परीक्षा हुई गड़बड़ियों की कई अपील अभ्यर्थियों द्वारा डाली जा चुकी हैं जिनपर सुनवाई की प्रक्रिया चल रही हैं।
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए सूबे में पहली बार कराई गई लिखित परीक्षा के परिणाम में एक और बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने दो ऐसे अभ्यर्थियों को सफल घोषित कर दिया जो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए थे। यही नहीं, परीक्षा में फेल कुल 23 अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया। इन 23 में से 20 अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था और इन्हें जिलों का आवंटन भी हो गया। मंगलवार को गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद विभाग में हड़कम्प मच गया है।
आननफानन में जिन जिलों में इन 20 फेल अभ्यर्थियों को भेजा गया था वहां के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर इन्हें नियुक्ति पत्र जारी करने से रोक दिया गया है। जिन जिलों में इन फेल अभ्यर्थियों का आवंटन हुआ था उनमें मैनपुरी, अलीगढ़, बाराबंकी, सीतापुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, बलरामपुर, मुरादाबाद, जौनपुर, चित्रकूट, बुलंदशहर, गोंडा और मेरठ शामिल हैं। हालांकि इन जिलों के जिलाधिकारियों, डायट प्राचार्यों और संबंधित जिले के मंडलीय सहायक बेसिक शिक्षा निदेशकों को भी पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि इन 20 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी न किए जाएं। उप सचिव बेसिक शिक्षा परिषद स्कन्द शुक्ल की ओर से भेजे गये पत्र में अपरिहार्य कारणों से नियुक्ति पत्र नहीं दिए जाने की बात कही गई है। लेकिन सूत्रों की माने तो ये वे अभ्यर्थी हैं जो लिखित परीक्षा में फेल थे लेकिन परिणाम में सफल घोषित कर दिए गए।
68500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा में जिन दो अभ्यर्थियों को परिणाम में सफल घोषित किया गया उन्होंने शिक्षक भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं किया था। सूत्रों के अनुसार यदि ये दोनों ऑनलाइन आवेदन कर देते तो इनके चयन होने से भी कोई रोक नहीं सकता था। इनके अलावा एक अन्य अभ्यर्थी जिसने परीक्षा दी थी लेकिन उसमें फेल होने के बावजूद रिजल्ट में पास कर दिया गया, उसने भी नौकरी के लिए फार्म नहीं भरा था। इस प्रकार परीक्षा में फेल जिन 23 अभ्यर्थियों को पास किया उनमें से 20 ने ही शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन किया था।
बताते चलें कि 68500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 27 मई को 248 परीक्षा केंद्रों पर हुई थी जिसमें 125745 अभ्यर्थियों में से 107908 (85.81 प्रतिशत) परीक्षा में उपस्थित रहे। 13 अगस्त को घोषित परिणाम में 41556 अभ्यर्थी (38.52 या 39 प्रतिशत) पास थे। 150 अंकों की परीक्षा में 67 (45 प्रतिशत) नंबर पाने वाले सामान्य व ओबीसी पा हुए। 60 अंक (40 प्रतिशत) अंक पर एससी/एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। भर्ती परीक्षा का परिणाम 13 अगस्त को घोषित होने के बाद से ही उसमें सम्मिलित अभ्यर्थी सवाल उठा रहे हैं। सोमवार को अंकित वर्मा और मनोज कुमार की स्कैन्ड कॉपियां मिलने के बाद अभ्यर्थियों की बात सही भी साबित हुई। अंकित वर्मा की कॉपी पर 122 नंबर है जबकि उसे परिणाम में सिर्फ 22 नंबर दिया गया। इसी प्रकार मनोज की कॉपी पर 98 अंक है और रिजल्ट में मात्र 19 नंबर देकर फेल कर दिया गया। सोनिका देवी की कॉपी बदलने के प्रकरण से परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय की पहले से किरकिरी हो रही है।