अयोध्या। अयोध्या शोध संस्थान तथा अशफ़ाक़ उल्ला खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान ने अवधी रचनाकार बाबूराम पाण्डेय हरिदास की पचीसवी पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाई मनाई। समारोह में अवधी के संस्कार गीतों की बयार सुनकर श्रोता भावविभोर हो गयें। तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने अवधी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा सनातन संस्कृति को विश्व में प्रतिष्ठा दिलाने में अवधी का सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हरिदास की रचनाओं पर शोध होना आवश्यक है।
समारोह में बोलते हुए अवधी के विद्वान डा राम बहादुर मिश्रा ने कहा कि हरिदास के रचनाओं का प्रकाशन किया जाएगा तथा संस्कार गीतों को विश्व व्यापी प्रतिष्ठा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अवधी ही वह भाषा है जिसनें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को दुनिया में पहुंचाया। उन्होंने कहा कि अवधी आदर्श, आध्यात्म तथा मानवता सिखाती है। समारोह का प्रारंभ हरिदास की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। अशफ़ाक़ उल्ला खा मेमोरियल शहीद शोध संस्थान के प्रबंध निदेशक सूर्य कांत पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपेक्षा किया कि लोगों को अपनी मातृभाषा अवधी में ही बातचीत करनी चाहिए। समारोह के स्वागताध्यक्ष पूर्व प्रधान रामायण पाण्डेय ने हरिदास जी की मंडली के गायकों, अतिथियों का माला एवं अंगवस्त्र प्रदान करके स्वागत किया। समारोह का संचालन श्याम जी पाण्डेय करुणेश ने किया। अयोध्या शोध संस्थान के सचिव रामतीर्थ को हरिदास की हस्तलिखित पाण्डुलिपि उनके कनिष्ठ पुत्र केशव राम पाण्डेय रामदास द्वारा प्रदान किया गया। उन्होंने उसके संरक्षण तथा प्रकाशन की घोषणा किया। समारोह में उपस्थित अवधी के कवियों ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चांद लगाया। जिसमें केदार नाथ पाण्डेय बाबा, राम धीरज तिवारी धीर, कमलाकर शुक्ल, मकरंद, विश्व विजय पाण्डेय विश्व, राम अछैवर मौर्य, आनन्द पाण्डेय प्रमुख थे। समारोह में कृपा निधान तिवारी, योगेश मिश्रा, राम यज्ञ पाण्डेय, सीता राम पाण्डेय, राम सहाय पाण्डेय, राम जी शरण पाण्डेय, के के पाण्डेय, अंकित पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, परशुराम पाण्डेय, अखिलेश सिहं, घनश्याम दूबे गुड्डू यादव, विनय श्रीवास्तव, आदि की प्रमुख भूमिका थीं।
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