कूटरचित दस्तावेज पर हांसिल की नौकरी, आहरित कर रहे वेतन
अयोध्या। श्री त्रिदण्डदेव संस्कृत महाविद्यालय कटरा के प्राचार्य राजेश्वर कुमार मिश्र के विरूद्ध कोतवाली अयोध्या में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने विवेचना शुरू कर दिया है। यह मुकदमा रतनपुर कालोनी पनकी जनपद कानपुर के विष्णु दत्त मिश्रा ने दर्ज कराया है।
दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि श्री त्रिदण्डदेव संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य राजेश्वर कुमार मिश्र ने कूटरचित कागजात तैयार करके प्रबंधक की मिलीभगत से प्रतिमाह 96000 वेतन निर्गत कर रहे हैं। सन् 2015 में संस्था के प्राचार्य पद का विज्ञापन प्रकाशित हुआ जिसमें पांच वर्ष का अध्यापन अनुभव मांगा गया। राजेश्वर कुमार मिश्र ने अनुभव प्रमाण पत्र तैयार करके संस्था में प्रस्तुत किया जिसके आधार पर चयन समिति के सदस्यों ने उसके सत्यापन की टीम लगा दी। अनुभव पत्र को जिला विद्यालय निरीक्षक आजमगढ़ से सत्यापन न कराकर स्वयं डाॅ. राजेश्वर कुमार मिश्र ने मोहर लगाकर सत्यापन कर दिया। इस सत्यापन की जांच जिला विद्यालय निरीक्षक आजमगढ़ से कराया गया तो पता चला कि सत्यापन न तो उनके दायरे में था और न ही उनके द्वारा किया गया था। इस तरह जब इनके अनुभव प्रमाण पत्र की जांच क्षेत्राधिकारी सगड़ी आजमगढ़ द्वारा की गयी तो अनुभव प्रमाण पत्र में पांच के स्थान पर तीन वर्ष का ही अध्यापन कार्य पाया गया। कार्यरतत प्रमाण पत्र, डाॅ. राजेश कुमार मिश्र का त्यागपत्र, विश्वविद्यालय का अनुमोदन पत्र 11 फरवरी व 27 मार्च को जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा प्रभार संस्था के वरिष्ठतम अध्यापक को सौंप दिया गया। इसके बाद सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी को अनुमोदन निरस्त करने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक अयोध्या द्वारा संस्तुति कर दी गयी। डाॅ. मिश्र अपने वेतन भुगतान के लिए हाईकोर्ट लखनऊ खण्डपीठ शरण में चले गये और याचिका संख्या 6053 (एसएस)/2019 योजित किया। उच्च न्यायालय द्वारा कार्य करने का प्रमाण प्रपत्र मांगा गया जिसे डाॅ. मिश्र द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया। कुछ समय बाद याचिका डाॅ. मिश्र द्वारा वापस ले ली गयी। इस सम्बन्ध में दोषी पूर्व प्रचार्य के विरूद्ध अभी तक कोई वैधानिक व दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की गयी है।