अयोध्या। सावन कृपाल रूहानी मिशन की ओर से दयाल पुरूष संत दर्शन सिंह की पुण्यतिथि पर चैक फैजाबाद में छबील (शरबत) का आयोजन किया गया। मिशन की ओर से विकास आहूजा ने जानकारी देते हुये बताया दयाल पुरूष संत दर्शन सिंह जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया संत दर्शन सिंह 1976 में सावन कृपाल रूहानी मिशन की स्थापना की वो ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने रूहानियत एवं अध्यात्मवाद को समझाने के लिए शेर-ओ-शायरी को अपना माध्यम बनाया। वे रूहानियत के गूढ़ से गूढ़ रहस्यों को भी चंद शेरों के जरिये बड़ी आसानी से समझा देते थे। जैसा कि उन्होंने अपने एक शेर में कहा है। ’’अपने ही दोस्त की तो है जितनी भी है ये निशानियाँ, दैर मिले तो सर झुका, काबा मिले तो सलाम कर’’ इस शेर में उन्होंने हमें जात-पात और धर्म से ऊपर सोचना चाहिए। हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हमारे धर्म और दूसरों के धर्म में कोई फर्क है। अगर हमें मन्दिर (दैर) दिखे तो हाथ जोड़कर माथा टेकना चाहिए, और मस्जिद (काबा) दिखे तो सलाम कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम यह न सोचें कि प्रभु को पाने के लिए अपना घर-द्वारा छोड़कर किसी गुफा व जंगलों में कठिन तपस्या की जरूरत है बल्कि अपने घरों में रहकर भी सारी जिम्मेदारियाँ निभाते हुये भी प्रभु को पा सकते हैं। इस अवसर पर विकास आहूजा (विक्की), घनश्याम अमलानी, नेहा अमलानी, शिव कुमार, राहुल तलरेजा, धनवन्ती लखमानी, राधा, राजेश कुमार, गंगा राम गुप्ता, हवलदार सिंह व शशि गुप्ता उपस्थित रहे।
संत दर्शन सिंह की पुण्यतिथि पर वितरित किया शरबत
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