अयोध्या। एक साल तक के बच्चों में डायरिया का प्रकोप लोटा वायरस के कारण होता है। यह वायरस शिशुओं में सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में फैलता है। यह जानकारी जिला चिकित्सालय के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. ए.के. वर्मा ने दिया। उन्होंने बताया कि यदि शिशु को तीन बार या इससे अधिक पतला दस्त आ रहा हो तो मान लेना चाहिए कि लोटा वायरस से वह ग्रसित हो चुका है। इसके अलावां डायरिया वैक्टीरिया के कारण भी पनपता है। दूषित जल और भोजन करने से यह वैक्टीरिया शिशुओं को अपनी गिरफ्त में कर लेता है। गर्मी के मौसम में ग्रोथ वैक्टीरिया के कारण शिशु डायरिया की चपेट में आते हैं। बच्चों के शरीर में एम्यूनिटी कम होती है। इसलिए वह वैक्टीरिया से संघर्ष नहीं करता। अक्सर मां का दूध न देने से 6 माह के पहले मुह से पानी देने पर और बोतल बंद दूध बच्चों को पिलाने से वह डायरिया की चपेट में आते हैं। उन्होंने बताया कि बोतल में जो निप्पल लगा होता है वह रबड़ का होता है जिससे शिशु के मुह में एनस्टिक एनर्जी हो जाती है जो मुंह से गुदा मार्ग तक फैलकर सूजन का कारण बनती है। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है पेट में दर्द होने के कारण व चिल्लाता है लूज मोसन के चलते जब पानी की कमी हो जाती है तो वह पानी पीने की कोशिश करता है जिससे उल्टी हो जाती है। डायरिया का दूसरा चरण सीरियस होता है। शिशु का मुंह सूखने लगता है आंख धंसने लगती है तथा त्वचा दबाने से वह तीन सेकेंड तक दबी रहती है जिससे इस बीमारी को आसानी से पहचाना जा सकता है और उसे तत्काल सरकारी अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए। उन्होंने बताया कि डायरिया पीड़ित सीरियस बच्चों के खून व मल की जांच करायी जाती है जिससे यह पता चलता है कि संक्रमण कितना है। आम तौर पर लोटा वायरस डायरिया पीड़ित बच्चे तीन से सात दिन तक इलाज कराने के बाद ठीक हो जाते हैं। उन्होने बताया कि डायरिया को लेकर मां बाप में तमाम भ्रांतियां हैं मां बाप चाहते हैं कि बच्चे को जो दस्त हा रहा है वह तत्काल बंद हो जाय परन्तु जो शरीर में सूजन आ जाता है उसको खत्म होने में लगभग एक सप्ताह लग जाता है। दूसरी ओर डायरिया पीड़ित शिशु को मां का दूध देना बंद नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित व शुद्ध होता है। एक भ्रांति यह भी है कि दांत निकलने के समय आम तौर पर शिशु को दस्त आ जाता है वास्तविकता यह है कि दांत निकलते समय बच्चा मुंह में कपड़ा आदि डालता है जिसकी गंदगी के कारण व डायरिया से ग्रस्त हो जाता है। शिशु को 6 माह तक मां के दूध के अलावां बाहर से न तो दूध पिलाया जाय और न ही पानी। डायरिया पीड़ित शिशु को ओआरएस का घोल देना जरूरी है जिससे पानी, नमक व ग्लूकोज की कमी दूर होती है।
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