शिक्षा को उच्चतम सोपान तक ले जाने में सक्षम नई शिक्षा नीति : प्रो. रविशंकर सिंह

by Next Khabar Team
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नई शिक्षा नीतिः सम्भावनाएं और चुनौतियां विषय पर हुआ वेबिनार

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं स्टूडेंटस फाॅर होलिस्टिक डेवलपमेंट इन ह्यूमैनिटी के संयुक्त संयोजन में आज 27 अगस्त, 2020 को नई शिक्षा नीतिः सम्भावनाएं और चुनौतियां विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के उद्घाटन सत्र में अतिथियों का स्वागत एवं अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 युगांतकारी परिवर्तन का एक ऐसा दस्तावेज है। जिसका ईमानदारी से क्रियान्वयन देश की शिक्षा व्यवस्था को उच्चतम सोपान तक ले जाने में सक्षम है। नई शिक्षा नीति देश के विकास में बड़ा योगदान कर सके इसके लिए सभी की भागीदारी आवश्यक है। नई शिक्षा नीति देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में सक्षम है। वैश्विक स्पर्धा में भारत खड़ा हो सके इसके लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा नीति में जनभागीदारी हो। हर स्तर पर बौद्धिक नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि वह पाठ्यक्रमों की संरचना में सहयोग करें। नई शिक्षा नीति में 27 बिंदुओं को समावेशित किया गया है। गणित, विज्ञान, कला सभी समान विषयक शिक्षा पर नई शिक्षा नीति में जोर दिया गया है। नई शिक्षा नीति में विदेशों में शैक्षिक परिसर की स्थापना और राष्ट्रीय भाषा को अपनाने पर बल दिया गया है। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना का उद्देश्य शिक्षा की सभी तक पहुंच और भावी पीढ़ी को शिक्षा दिलाना है। वेबिनार की मुख्य अतिथि राज्य मंत्री उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उत्तर प्रदेश सरकार की डाॅ0 नीलिमा कटियार ने कहा कि जन अपेक्षा जन आकांक्षा ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। शिक्षा के क्षेत्र में संधान पूर्णता की तरफ ले जाए और सभी की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। वर्तमान सरकार पूरी जवाबदेही के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। जिम्मेदारी विचारधारा से आती है इसे सरकार की नीतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है कि देश और राष्ट्र का विकास आवश्यक है। समूची दुनिया एक ऐसे नकारात्मक वातावरण में है फिर भी हमें वैश्विक सोच को बनाना होगा। आपदा में संभावनाओं की तलाश करनी है जिससे सभी नागरिकों में ग्लोबल सोच पैदा हो सके। महापुरुषों ने अपने अनुभवों से वास्तविक शिक्षा के दर्शन कराए हैं जो हम में उनका प्रस्तुतीकरण कर रहे हैं। सामाजिक ढांचा अर्हता के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गया है जबकि अर्हता सीमित है और क्षमता असीमित। नई शिक्षा नीति की स्वीकार्यता कैसे हो हम सभी को इस पर कार्य करना होगा। वेबिनार में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो0 डी0पी0 सिंह, अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली ने कहा कि 21 वीं सदी की यह पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। इस नीति में कई महत्वपूर्ण विन्दु है। इसमें तार्किकता, नैतिकता, संवेदनशीलता और जागृति है। रोजगारमूलक होने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत है। इस शिक्षा नीति के माध्यम से ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण होगा। जो अपनी संस्कृति से जुड़ी होगी। हमारे विद्यार्थी वैश्विक नागरिक भी बने। विश्व में हमारे भारत की जो पहचान है उस पहचान को बनाये रखते हुए उसे विस्तार दे। उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति बहुविषयक शिक्षा एवं स्किल डेवलपमेंट पर जोर देती है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र निर्माण हो और बौद्धिक विकास हो। मनुष्य में अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति का नाम ही शिक्षा है। स्वामी जी की यह परिकल्पना नई शिक्षा नीति के प्रमाणिक दस्तावेज से सजीव होती दिखायी दे रही है। नई शिक्षा नीति की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य प्रो0 के0 रामचन्द्रन ने कहा कि स्नातक कर रहे छात्र और परास्नातक के विद्यार्थियों के लिए सीखने के लिए विशेष प्रयास करना होता है। छात्रों की विविधता हमारी शक्ति है उसका उपयोग करना हमारे लिए आवश्यक है। हमें छात्रों की क्षमता को पहचान कर उन्हें गति देने की आवश्यकता है। हमें एक ऐसी तकनीक विकसित करनी है कि जिससे छात्र छात्राओं की मेधा को परखा जा सके और उनका सदुपयोग राष्ट्र के निर्माण में हो सके। अन्य वक्ताओं में प्रो0 किरन हजारिका, सदस्य विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नई शिक्षा नीति को देश की सुदृढ़ शिक्षा व्यवस्था के लिए आवश्यक बताया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो0 एस0पी0 सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बहुत बड़ा लक्ष्य है। यह विद्यार्थी, शिक्षक एवं सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए सर्वसमावेशी है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य प्रो0 नागेश ठाकुर ने नई शिक्षा नीति के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि शोद्यार्थी अपने ही देश में गुणवत्तापरक शोध कर सकते है। प्रो0 मनप्रीत मानस, पूर्व निदेशक एआईसीटीई ने बताया कि इस शिक्षा नीति में कई अहम कदम उठाये गये है जो निश्चित ही देश के विकास में सहायक होंगे। टीआईएसएस की अध्यक्ष प्रो0 मधुश्री शेखर ने बताया के नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन करते हुए हमें अपने विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थाओं को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ साबित करना होगा। वेबिनार के समन्वयक प्रो0 एसएन शुक्ल ने बताया कि लगभग 34 वर्षों के अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति का आगमन हुआ है। देश इस नई शिक्षा नीति से बहुत आशान्वित है। निश्चित ही यह नीति भारत को पुनः विश्वगुरू के पद पर स्थापित करेगी। उन्होंने बताया कि यह दो दिवसीय वेबिनार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविशंकर सिंह जी की प्रेरणा से आयोजित की जा रही है। इसमें देश भर के लगभग 700 शिक्षाविद्व एवं प्रतिभागी आॅनलाइन जुड़े है। वेबिनार का शुभारम्भ सरस्वती वंदना के साथ हुआ। उसके उपरांत विश्वविद्यालय के कुलगीत की प्रस्तुति हुई। कार्यक्रम का संचालन वेबिनार की आयोजन सचिव डाॅ0 गीतिका श्रीवास्तव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सह संयोजक प्रो0 फारूख जमाल ने किया। तकनीकी सहयोग इंजीनियर मनीषा यादव, इंजीनियर पारितोष त्रिपाठी, इंजीनियर राजीव कुमार, इंजीनियर रमेश मिश्र ने प्रदान किया। इस अवसर पर प्रो0 अशोक शुक्ल, प्रो0 शैलेन्द्र वर्मा, डाॅ0 अमित कुशवाहा एवं प्रो0 रमापति मिश्र सहित बड़ी संख्या में प्रतिभागी जुड़े रहे।

    
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