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शहर में कुछ अदीब रहने दो, रोशनी को करीब रहने दो…

अवध विवि पुरातन छात्रभा ने केन्द्रीय लाइब्रेरी में आयोजित की बतकही

अयोध्या ।साहित्य संवर्द्धन के लिए कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने ‘बतकही’ मंच का गठन किया है. बतकही में शायर आतिश सुल्तानपुरी के शब्दों में ‘ शहर में कुछ अदीब रहने दो, रोशनी को करीब रहने दो.. करता जो बेजुबानों की बातें, कोई ऐसा खतीब रहने दो- का बतरस निकला.
अवध विश्वविद्यालय पुरातन छात्र सभा द्वारा केन्द्रीय लाइब्रेरी में आयोजित बतकही डॉ प्रभाकर मिश्र की अध्यक्षता, पुरातन छात्र सभा अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह के दिशा निर्देशन व डॉ विंध्यमणि त्रिपाठी के संचालन में सम्पन्न हुई.
शायर आतिश सुल्तानपुरी ने कहा कि किताबें पढ़ी नहीं जाती बल्कि किताबें खुद पढ़वा लेती हैं. साहित्य और किताबों को प्रेम का स्रोत बताते हुए उन्होंने हमारे ग्रन्थ विज्ञान आधारित हैं, इन पर बतकही होनी चाहिए. राजनीतिक व्यवस्था पर व्यंग करते हुए उन्होंने सुनाया कि श्नेता हमारे रहते हैं, दीवाने खास में.. तू कैसे जा सकेगा, ऐसे लिबास में.
सूर्यकांत पांडेय ने कहा कि हमारी ऋषि परम्परा देने की रही है, पाने की नहीं. आज शिक्षा और साहित्य को रोजगार से जोड़कर इसे चौपट कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि बाजार ने हमारे चरित्र पर कब्जा कर लिया और किताबें सजावट की वस्तु लेकिन बतकही से हम अपना गौरव वापस ला सकते हैं.
डॉ. राजेश प्रताप सिंह ने कहा कि हमारे ग्रन्थ न केवल अतीत को बताते हैं बल्कि भविष्य का आइना भी दिखाते हैं. उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को कहानियां पढ़ाने के बजाय उनसे कहानियां गढ़ने के लिए कहना चाहिए।
फैजाबाद के सबसे ज्यादा किताब लेखकों में शुमार आर डी आनन्द ने कहा कि शुरू से अंत तक हमें इंसान रहना होगा. उन्होंने रामचरितमानस को श्रेष्ठ ग्रन्थ बताया। राम सुरेश शास्त्री ने कहा कि साहित्य साधना की बतकही सबको करनी चाहिए। युवा साहित्यकार शोभा गुप्ता ने बतकही में शामिल होने को ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि किताबों ने हमें कभी अकेला नहीं रहने दिया। संचालक डॉ. विन्ध्यमणि त्रिपाठी ने कहा कि किताबों का सम्मान करें और सार्थक बतकही करते रहें। अध्यक्ष डॉ. प्रभाकर मिश्र ने कहा कि हर साहित्यकार मूलतः पत्रकार होता है. डॉ. लोहिया की बतकही करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ. विद्या निवास मिश्र जी के बारे में जानकर डॉ. लोहिया ने कहा था कि आज राजनीति साहित्य के आंगन तक जाएगी. उन्होंने कहा कि भाषा को भ्रष्ट किया जा रहा है और इसके लिए पूंजीवाद जिम्मेदार है.
बतकही में पुरातन छात्र सभा के सचिव डॉ. विनोद कुमार चौधरी, कवियत्री अनामिका पांडेय, राजकुमार पाण्डेय, शिवम् विश्वकर्मा सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित थे. पुरातन छात्र सभा अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बतकही में कमियों के लिए क्षमायाचना की बतकही की।

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