भागवत कथा के पांचवे दिन कथा पांडाल में धूमधाम से मनाया भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव
गोसाईगंज। करिया बाबा मंदिर के पुजारी बाबा झग्गर दास द्वारा आयोजित सात द्वितीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा क्षेत्र के करिया बाबा मंदिर के प्रांगण शाम पांच बजे से रात्रि 9 बजे तक चल रहा है। चैथे दिन कथावाचक व्यास पं. आदेश मिश्र महाराज ने बताया कि मन ही सारे पापों की खान है। मन के चक्कर में ही जीव चक्कर काटता रहता है। जब मन का चक्कर खघ्त्म हो जाता है तब 84 लाख योनियों का चक्कर भी खत्म हो जाता है। दुख की प्रमुख वजह अपनी कमी ना देखना है। भगवान के भजन के बिना जीव को रोना ही पड़ेगा। भगवान की कथा सुनकर जो अपने में परिवर्तन लाते हैं वही सच्चे होते होते हैं। कथावाचक श्री मिश्र ने कहा जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। यह बात करिया बाबा में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत के पांचवे दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए पंडित आदेश मिश्र जी महाराज ने श्रद्धालुओं के बीच कही। कथा भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन किया। इसके पूर्व आदेश मिश्र जी महाराज ने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें।
उन्होंने रामकथा का संक्षिप्त में वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने धरती को राक्षसों से मुक्त करने के लिए अवतार धारण किया। कथा में कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर समूचा पांडाल खुशी से झूम उठा। मौजूद श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जय जय कार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। कथा सुनने आसपास गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। कथा का रसपान करते बिंदू सिंह,राधेश्याम मौर्य,राज नरायन सिंह,बाबू अली, दिनेश विश्वकर्मा, पंकज सिंह सहित हजारों की संख्या में कृष्ण प्रेमी भक्त उपस्थित थे।