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तीन पीढ़ियों संग हिन्दी के विकास में जुटे हैं डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव

‘हिंदी दिवस’ विशेष : हिंदी के विकास में निरंतर तत्पर हैं डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव की तीन पीढ़ियाँ, देश-विदेश में शताधिक सम्मान प्राप्त

हमारे देश में प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को ही संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था और इसके बाद से हर साल इसे हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हिंदी को लेकर तमाम विद्वान, संस्थाएँ, सरकारी विभाग अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच एक परिवार ऐसा भी है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी और हिंदी साहित्य की अभिवृद्धि के लिए निरंतर अपने लेखन के माध्यम से प्रयासरत हैं। भारतीय डाक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं सम्प्रति लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव के परिवार में उनके पिता राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी आकांक्षा यादव और दोनों बेटियाँ अक्षिता और अपूर्वा भी हिंदी को अपने लेखन से लगातार नए आयाम दे रहे हैं। देश-विदेश में तमाम सम्मानों से अलंकृत यादव परिवार की रचनाएँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ रेडियो और दूरदर्शन पर भी प्रसारित होती रहती हैं। हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में इस परिवार का नाम अग्रणी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अध्ययन पश्चात वर्ष 2001 में हिंदी माध्यम से अपने प्रथम प्रयास में ही भारत की प्रतिष्ठित ‘सिविल सेवा’ में चयन पश्चात कृष्ण कुमार यादव सूरत, कानपुर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, इलाहाबाद, जोधपुर, लखनऊ में विभिन्न पदों पर पदस्थ रहे हैं। प्रशासनिक सेवा के दायित्वों के निर्वहन के साथ डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव की अभिलाषा (काव्य संग्रह), अभिव्यक्तियों के बहाने, अनुभूतियाँ और विमर्श (निबंध संग्रह), क्रांति यज्ञ : 1857-1947 की गाथा, जंगल में क्रिकेट (बाल गीत संग्रह) एवं 16 आने, 16 लोग सहित कुल सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक – साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता व प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु शताधिक सम्मान श्री यादव को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के राज्यपाल भी सम्मानित कर चुके हैं। श्री यादव के पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव हिंदी में निरंतर लेखन कार्य कर रहे हैं, वहीं पत्नी आकांक्षा यादव की भी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज द्वारा प्रकाशित “आधी आबादी के सरोकार” इनकी चर्चित पुस्तक है। ‘दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति’ सम्मान से विभूषित यादव दम्पति को नेपाल, भूटान व श्रीलंका में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन’ में ’’परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान’’ सहित अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान ‘पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड’ श्रेणी में आकांक्षा यादव के ब्लॉग ‘शब्द-शिखर’ को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है। सीएमएस, अलीगंज, लखनऊ में अध्ययनरत इनकी दोनों बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा भी इसी राह पर चलते हुए अंग्रेजी माध्यम की पढाई के बावजूद हिंदी में सृजनरत हैं। अपने हिंदी ब्लॉग ‘पाखी की दुनिया’ हेतु नन्ही ब्लॉगर अक्षिता भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में ‘राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ से सम्मानित हैं। अक्षिता को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, नई दिल्ली (2011) में भारत के वर्तमान मानव संसाधन विकास मंत्री डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर‘ सम्मान से अलंकृत किया, तो अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका (2015) में भी अक्षिता को ”परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि, सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान है, यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। वहीं, आकांक्षा यादव का मानना है कि, आज परिवर्तन और विकास की भाषा के रूप में हिन्दी के महत्व को नये सिरे से रेखांकित किया जा रहा है।

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