चार माह में भी खंड शिक्षा अधिकारी नहीं पूरी कर सके जांच

by Next Khabar Team
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बेसिक शिक्षा विभाग का खेल, लापरवाह शिक्षकों को बचाने में तुला है बेसिक शिक्षा विभाग

कुमारगंज। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के भी खेल निराले है। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा शिक्षकों के फर्जीवाड़े के खिलाफ कराई जा रही जांच को बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्यवाही करने के बजाए ठंडे बस्ते में डाल दिया है। मामले की जांच के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से नामित किए गए जांच अधिकारी खंड शिक्षा अधिकारी मवई को 4 माह बीत जाने के बावजूद भी अपनी जांच पूरी करने का समय नहीं मिल सका है। जिसके चलते मजिस्ट्रेट तक की जांच में आपराधिक कृत्य के दोषी पाए गए दोनों शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही के बजाय बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कृपा बरस रही है।
मामला मिल्कीपुर शिक्षा क्षेत्र अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय मसेढ़ा से जुड़ा हुआ है। विद्यालय में तैनात 2 शिक्षकों अभिनव सिंह एवं शिखा सिंह द्वारा बीते 15 नवंबर 2018 को आकस्मिक अवकाश लिए जाने के बावजूद उस पर सफेदा लगाकर हस्ताक्षर बनाते हुए अपने कर्तव्य एवं दायित्व की इतिश्री कर ली गई थी। यही नहीं उक्त दोनों शिक्षक बीते 26, 27 एवं 28 नवंबर 2018 को बिना कारण बताए लगातार विद्यालय से अनुपस्थित भी पाए गए थे। समूचे प्रकरण की शिकायत ग्रामवासी इंद्रजीत सिंह ने प्रदेश के अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ से किया था।
इस प्रकरण की जांच तत्कालीन जिलाधिकारी डॉ अनिल कुमार पाठक ने उपजिलाधिकारी मिल्कीपुर के डी शर्मा से कराया था। एसडीएम ने बीते 19 मार्च 2019 को अपनी जांच रिपोर्ट में दोनों शिक्षकों को उपस्थिति पंजिका में अवकाश का अंकन किए जाने के बावजूद उस पर सफेदा लगाकर हस्ताक्षर बनाए जाने का दोषी पाया था और इस कृत्य को उन्होंने एक आपराधिक कृत्य करार दिया था। मजिस्ट्रेटी जांच पूरी होने के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ अमिता सिंह ने दोनों शिक्षकों अभिनव सिंह एवं शिखा सिंह को बीते 31 मार्च 2019 को स्पष्टीकरण जारी किया था। इसके अलावा मामले का जांच अधिकारी खंड शिक्षा अधिकारी मवई अरुण वर्मा को नामित किया था। उधर शिकायतकर्ता इंद्रजीत सिंह ने मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की लीपापोती देख मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल का सहारा लिया था और आईजीआरएस के माध्यम से दोनों लापरवाह और मनबढ़ शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की मांग की थी।
आईजीआरएस के निस्तारण में तो जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने तेजी दिखाते हुए बीते 27 अप्रैल को दोनों शिक्षकों का वेतन वृद्धि अवरुद्ध करते हुए आईजीआरएस शिकायत का तो निस्तारण कर दिया। किंतु शिक्षकों के विरुद्ध कोई बड़ी कार्यवाही करने के बजाय मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उधर मामले के जांच अधिकारी नामित किए गए खंड शिक्षा अधिकारी मवई को जांच मिलने के 4 माह बीत जाने के बावजूद भी आज तक सुध नहीं आई और न ही आज तक जांच ही पूरी हो सकी है। जिसके चलते जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की मंशा फलीभूत हो रही है। शिकायतकर्ता इंद्रजीत सिंह ने अब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा अपने जाति वर्ग के लापरवाह शिक्षकों पर भी कृपा बरसाने का आरोप लगाते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित प्रमुख सचिव से मामले की शिकायत की है। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के फर्जीवाड़े के मामले की जांच के लिए नामित किए गए जांच अधिकारी खंड शिक्षा अधिकारी मवई का कहना है कि जांच तो हमें जरूर मिली थी किंतु समय नहीं मिल पाने की वजह से जांच नहीं पूरी हो सकी है।

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