कृषि विज्ञान केंद्रों की 26वीं वार्षिक कार्यशाला का हुआ समापन
मिल्कीपुर। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या में आयोजित प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों की 26वीं वार्षिक कार्यशाला का समापन प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री शाही ने कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों को कृषि विभाग से निरन्तर तालमेल बनाकर जनपदों के कृषकों को प्रशिक्षण, प्रदर्शन व बैठकों के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा सम्पर्क में रहने का निर्देश दिया।
कृषि मंत्री ने प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र पर जैविक खेती के प्रदर्शन हेतु कम से कम एक गाय रखने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में बढोत्तरी व कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन, कम्पोस्ट व वर्मी कम्पोस्ट बनाने की प्रायोगिक विधि व इसके उपयोग की विधि का ज्ञान उपलब्ध कराएं। कृषि विश्वविद्यालय को अपने कुछ प्रमुख उत्पादो की ब्रांडिंग कर उसकी गुणवत्ता व विशेषता से देश व प्रदेश परिचित हो सके। कृषि मंत्री ने सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के पास उपलब्ध सम्पूर्ण क्षेत्रफल पर कृषि उत्पादन करें साथ ही ऊसर व बंजर भूमि में तीव्र व व्यापक गति से सुधार करें।
कृषि मंत्री ने कृषि विज्ञान केंद्रों को सम्बंधित जनपदों के कृषि व ग्रामीण विकास की धुरी बताया। इससे पूर्व कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे एस संधू ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र अपने कार्यक्रम समयबद्ध लक्ष्य के साथ सम्पादित करें तभी सही परिणाम सामने आएंगे। कुलपति ने सोमवार को कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर मुख्यमंत्री के कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका पर केंद्रित उद्बोधन के आधार पर केंद्रों के वैज्ञानिकों को सुझाव देते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में तिलहन उत्पादन की बेहतर सम्भावनाओं के दृष्टिगत वैज्ञानिक तकनीकी के व्यापक प्रचार प्रसार व उत्पादन छेत्रफल में विस्तार पर जोर देने पर बल दिया।
कुलपति ने सभी कृषि विज्ञान केंद्रों को अपने जनपद से ऐसे कृषि उत्पादों को चिन्हित करने का निर्देश दिया जिनका निर्यात किया जा सके। उन्होंने कहा कि इससे एक जनपद एक उत्पाद की मुख्यमंत्री की सोच को साकार किया जा सकता है।कुलपति ने गायों व दुधारू पशुओं के नस्ल सुधार पर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को विशेष परियोजना बनाने व इस पर कार्य प्रारम्भ करने के निर्देश दिए।
कुलपति ने कहा कि सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों के कार्यों की समीक्षा के लिए प्रबन्ध परिषद के सदस्यों के नेतृत्व में जांच समिति गठित की जा चुकी है इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर विश्वविद्यालय स्तर पर समिति गठित कर लापरवाह वैज्ञानिकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
कुलपति ने कहा कि भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए जल संचय व संरक्षण पर विश्वविद्यालय को काम करने की जरूरत है और इस पर शीघ्र ही कार्य प्रारम्भ कर दिया जाएगा जो यहां आने वाले किसानों के लिए प्रदर्श मॉडल का भी काम करेगा। कुलपति प्रो संधू ने कहा कि कालानमक धान की परंपरागत किस्म पर शोध कर बेहतर उत्पादन देने वाली काला नमक की प्रजाति विकसित करने पर विश्वविद्यालय ने कार्य प्रारम्भ किया है भविष्य में इसका लाभ हमारे किसानों को कालानमक चावल के निर्यात व अपनी तथा प्रदेश की आय बढानें में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगी।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलपति प्रो जे एस संधू व प्रसार निदेशक डॉ ए पी राव ने कृषि मंत्री का स्वागत किया। कृषि मंत्री ने नरेंद्र उद्यान में एक वृक्ष रोपित किया। समापन अवसर पर कुलपति प्रो संधू ने कृषि मंत्री को अंगवस्त्र व स्मृतिचिन्ह भेंट किया।इस अवसर पर अटारी कानपुर के डॉ अतर सिंह समेत प्रदेश के अन्य तीनों राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के निदेशक प्रसार व 83 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक उपस्तिथ रहे।