शहीद राम प्रसाद बिस्मिल जयंती की पूर्व संध्या पर हुई काव्य गोष्ठी
अयोध्या। अशफाक उल्ला खां मेमोरियल शहीद शोध संस्थान ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की याद तथा अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल जयंती की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। सिविल लाइन स्थित एक होटल सभागार में सम्पन्न गोष्ठी की अध्यक्षता साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य डा अजय मोहन श्रीवास्तव तथा संचालन शायर एहतेशाम वफा ने किया।
संस्थान के प्रबंध निदेशक सूर्य कांत पाण्डेय ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम और आंदोलन में क्रातिकारियो की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आजादी के संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका की अनदेखी की जा रही हैं। गोष्ठी में लखनऊ, मुम्बई से आए शायरों ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। धन्यवाद संस्थान के अध्यक्ष सलाम जाफरी ने व्यक्त किया।
गोष्ठी में लखनऊ के शायर हसन काजमी ने यह पढ़कर वाहवाही लूटी अपना चेहरा कोई कितना भी छुपाएं लेकिन, वक्त हर शख्स को आईना दिखा देता है। बम्बई के शायर डा तारिक मंजूर ने कहा मैं कोई हर्फ नहीं हूँ सिलेट पर लिख्खा, मैं संगमील हूँ कह दो जरा जमाने से। मकसूद बस्तवी ने कहा आवो खामोश झील में पत्थर उछाल दे, फैला सुकूत हद्दे नजर पानियों पे हैं।
संस्थान द्वारा आयोजित गोष्ठी में स्थानीय शायरों ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत किया। इसमें इल्तिफात माहिर, जमशेद फैजाबादी, अख्तर हाशमी, शाहिद जमाल, नूर सादानी, अंशुमाली, रामानंद सागर, कबीर बीकापुरी, अनुपम, मशमूम फैजाबादी, राम जीत यादव, आदि प्रमुख रहे। संस्थान के कोषाध्यक्ष अब्दुल रहमान भोलू, देवेश ध्यानी, अंकित पाण्डेय, विकास सोनकर, भाकपा महानगर सचिव कप्तान सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किया।