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व्यक्ति की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को सुरक्षित करती है होम्योपैथी
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संचारी रोग और उनसे बचाव
फैजाबाद। जीवन मे स्वस्थ रहना ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्द्धि है। व्यक्ति का प्रकृति से अटूट सम्बन्ध है इसलिए वह इसमें होने वाले परिवर्तनों से प्रभावित होता है। भारत मे प्रकृति पूर्ण रूप में विद्यमान है इसलिए यहां सभी छः ऋतुएं समयावधि के साथ बदलती रहती हैं, किन्तु कोई भी परिवर्तन अचानक पूरा नही होता उसमे कुछ समय लगता है, यह समय ऋतुओं का संक्रमण काल कहलाता है और इस प्रकृति के संक्रमण काल का असर मनुष्य की शारीरिक क्रियाविधियों पर भी पड़ता है, तदनुरूप ही शरीर स्वयं को ढाल लेता है, सामान्यतः यह शरीर की सुरक्षात्मक प्रणाली का हिस्सा है ।यूँ भी कह सकते हैं कि परावर्तन के इस संक्षिप्त काल मे सुरक्षा का आवरण प्रकृति और व्यक्ति सभी मे कम हो सकता है, तो स्वाभाविक है कि इसका लाभ उठाने वाले कारकों जो इसी प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी का इंतजार कर रहे होते है , उनका आक्रमण और प्रभाव दोनो ही आपेक्षिक रूप से तेज हो सकते हैं, जिनसे बचने का पहले ही उपाय कर लिया जाय तो आक्रमण भले न रोका जा सके किन्तु प्रभाव निष्क्रिय या कम अवश्य किया जा सकता है।
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