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बालिकाओं की शिक्षा वैदिक काल से ही महत्वपूर्ण: एस.एस. उपाध्याय

  • सम्मान व आत्मनिर्भरता के लिए होनी चाहिए शिक्षा: हीरा ठाकुर

  • जय गणेश शिव सागर महिला महाविद्यालय में अभिनन्द व पुरस्कार वितरण समारोह का हुआ आयोजन

फैजाबाद। बालिकाओं की शिक्षा वैदिक काल से ही महत्वपूर्ण समझी जाती थी, वैदिक काल से ही महिलाएं शास्त्रातों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करती थीं। गार्गी घोष, अपाला मैत्री आदि विदुषी नारियां इसका उदाहरण है किंतु बीच में इसका कुछ क्षरण हुआ परंतु वर्तमान आधुनिक युग में नारी में जो जागृति आई है वह अद्भुत वह अविस्मरणीय है। उक्त विचार जय गणेश शिव सागर महिला महाविद्यालय में आयोजित अभिनंदन व पुरस्कार वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल के विधि सलाहकार एस.एस. उपाध्याय ने व्यक्त किया।  उन्होंने कहा कि प्राचीन वैभव को कायम रखने में आज की छात्राएं दिन रात एक किए हुए हैं। आज की नारी प्रशासनिक प्रतियोगी परीक्षाओं में, सेना के तीनों अंगों में, राजनीति में तथा उन सभी क्षेत्रों में जहां पुरुषों का बोलबाला था में अपना एकछत्र राज चला रही हैं और निरंतर मजबूती के साथ आगे बढ़ रही हैं। उन्हांेने कहा कि हमारे राज्यपाल राम नाईक अक्सर कहते हैं कि विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में जिस तरह बालिकाएं ज्यादा से ज्यादा नम्बर लाकर मेडल प्राप्त कर रही हैं उससे तो ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय में लड़कों को ही आरक्षण की आवश्यकता पड़ेगी। श्री उपाध्याय ने कहा कि समाज हमेशा गुरु के सामने नतमस्तक रहा है और आगे भी रहेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मात्र पाठ्यक्रम को पूरा करना नहीं, रिजल्ट को घोषित करना नहीं बल्कि विद्यार्थियों के संपूर्ण सर्वांगीण विकास कैसे हो शिक्षक को यह ध्यान देना होगा। इस अवसर पर श्री उपाध्याय ने अपनी खुद की लिखी पुस्तक यूनिवर्सिटी लॉ आफ इंडिया की एक प्रति महाविद्यालय के प्रबंधक राम सागर यादव को भेंट की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रबंधक राम सागर यादव तथा संचालन आई.डी. यादव द्वारा किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों के द्वारा हुई। राष्ट्रीय महासंघ के तत्वाधान में लेखकों, समाजसेवियों का अभिनंदन व पुरस्कार वितरण किया गया। राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार आर्य की पुस्तक का विमोचन मुख्य अतिथि द्वारा किया गया। महासंघ की ओर से राम सागर यादव, हरिशंकर यादव, विनोद यादव, आई.डी. यादव, प्रशांत यादव आदि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के महाधिवक्ता मदन मोहन पांडे ने कहा कि बच्चों की मनमोहक प्रस्तुति से अभिभूत हूं।
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. हीरा ठाकुर ने कहा कि शिक्षा किसी की गुलामी के लिए नहीं बल्कि सम्मान व आत्मनिर्भरता के लिए होनी चाहिए। बेटियां राष्ट्र की धरोहर व राष्ट्र की इज्जत है किंतु जब-जब बेटियों की इज्जत के साथ किसी ने खिलवाड़ किया है एक नया महाभारत हुआ है जिस समाज में गाय और गौरी अर्थात बेटी का सम्मान नहीं होता उस समाज का पतन हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति इस देश में शिक्षक व नेता बनना चाहता है तो उसे बेटियों का उद्धार करना होगा क्योंकि एक बेटी तीन परिवारों का उद्धार करती है। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. आर. एस. दुबे ने कहा कि चिकित्सा सेवा भाव है यही सेवा भावना राष्ट्र की सेवा करते समय होनी चाहिए। सर्जरी सर्जिकल स्ट्राइक जैसे शब्द चिकित्सा क्षेत्र से ही निकले है। महाविद्यालय की छात्राओं की प्रस्तुति से अभिभूत दिखे राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार आर्य ने कहा कि महाविद्यालय की बेटियों की प्रस्तुति में शब्दों का चयन व भावनाओं की पवित्रता से मैं अत्यंत अभिभूत हूं ऋषि याज्ञवल्क्य की पत्नी गार्गी मैत्री का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि आज की स्त्रियों को गार्गी के समान बुद्धिमान अनुशासित चरित्रवान व वाकपटु बनना चाहिए। टीवी चैनलों पर चलाए जा रहे सोमवार कार्यक्रमों पर कटाक्ष करते हुए श्री आर्य ने कहा कि ऐसे सीरियल भारतीय नारी व संस्कृति का मखौल उड़ा रहे हैं। सीता का स्वयंवर स्वयंवर नहीं बल्कि एक शर्त थी और वह यह कि जिस पुरुष में पारसमल होगा वही मेरी बेटी के वर का उत्तराधिकारी होगा सीता और द्रोपदी ने पिता के वचनों का सिर झुका कर पालन किया था यही हमारी भारत की संस्कृति है इसलिए हर बेटी को गार्गी मैत्र्री व द्रोपति नारी शक्ति नारी सशक्तिकरण को विश्व पटल पर लाकर अपनी छाप छोड़नी चाहिए। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महाविद्यालय के प्रमोद यादव, हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांण्डये संतोष दुबे, संतोष सिन्हा, अजय सिन्हा आदि लोग उपस्थित रहे।

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