45 डिग्री तापमान पर भी उत्पादित किया जा सकेगा गेंदा का फूल
मिल्कीपुर। नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय में गेंदे के फूल की गर्मी की प्रजाति पर प्रारम्भ किये गए शोध के आश्चर्य जनक परिणाम सामने आए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे एस संधू के निर्देश पर पश्चिम बंगाल के विधानचन्द कृषि विश्वविद्यालय से लाई गई गेंदे की प्रजाति विधान गेंदा 2 का परीक्षण महाविद्यालय के प्रक्षेत्र पर किया गया है।
उद्यान एवं वानिकी महाविद्यालय के पुष्प एवं भूदृश्य विभाग के सह प्राध्यापक डॉ अशोक कुमार मौर्य द्वारा किये जा रहे गेंदे की इस प्रजाति पर परीक्षण के दौरान सामने आया कि 45 डिग्री तापमान में भी जाड़े के मौसम की तरह के गेंदे के फूल अत्यंत सहजता से उत्पादित किये जा रहे हैं। आमतौर पर पूर्वांचल ही नही वर्ण पूरे प्रदेश में गर्मी में पैदा होने वाला गेंद एक विशेष किस्म का व अत्यंत छोटी साइज व एकल पंखुड़ियों का होता है जिसका उपयोग ज्यादातर पूजा के दौरान किया जाता है।
परंतु विधान गेंदा 2 के उत्पादन में सफलता से अब स्थानीय किसान आकर्षक गेंदे के उत्पादन चिलचिलाती गर्मी में कर सकेंगे और बेहतर आय गेंदे की खेती से हासिल कर सकेंगे। इस फसल पर कार्य कर रहे डॉ मौर्य ने बताया कि इस प्रजाति की खेती में मई व जून के माह में भी 5से6 दिन पर सिंचाई करनी पड़ती है तथा एक पौधे से 40 से 45 फूल प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि गेंदे की इस प्रजाति की पैदावार 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस वर्ष इस प्रजाति के उत्पादित फूलों को मात्र बीज उत्पादन की दृष्टि से एकत्र किया जा रहा है तथा अगले वर्ष मार्च के महीने में नर्सरी बड़े पैमाने पर डाली जाएगी एवं बचे बीज को इच्छुक किसानों को विक्रय किया जाएगा
Comments are closed.