फैजाबाद। केन्द्र सरकार के उपेक्षात्मक रवैये से आहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पत्नी जयदेवी ग्रांट पेंशन के लिए बीते 6 सालों से उच्च न्यायालय लखनऊ का चक्कर लगा रही हैं। श्रीमती जयदेवी के पति स्व. भगौती प्रसाद ने जंगे आजादी में आन्ध्र प्रदेश में निजाम के खिलाफ चले झण्डे वाला आन्दोलन में भाग लिया था और उन्हें ब्रितानी हुकूमत ने एक साल सश्रम कारावास का दण्ड देते हुए नलगोण्डा कारागार में कैद कर दिया था।
स्वतंत्रता सेनानी भगौती प्रसाद मूलतः फैजाबाद जनपद के निवासी थे। उनके दिवंगत होने के बाद उनकी पत्नी जयदेवी सरकार द्वारा दिये जाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मान पेंशन के लिए लिखापढ़ी शुरू किया। पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने सम्मान पेंशन स्वीकृत की चूंकि एक साल सश्रम कारावास का दण्ड भोगने वाले केन्द्र सरकार के सम्मान पेंशन के हकदार होते हैं इसलिए बाद में केन्द्र ने भी सम्मान पेंशन देने शुरू किया।
सेनानी पत्नी का कहना है कि जिस तिथि से उत्तर प्रदेश सरकार ने सम्मान पेंशन दिया है उसी तिथि से केन्द्र सरकार का भी सम्मान पेंशन मिलना चाहिए जो नहीं दिया गया। इस सम्बन्ध में जब केन्द्र सरकार ने जब ध्यान नहीं दिया तो सेनानी पत्नी ने न्याय के लिए 6 अप्रैल 2011 को हाईकोर्ट लखनऊ का दरवाजा खटखटाया। याचिका में कहा गया है कि मुकुंद लाल भण्डारी व अन्य बनाम यूनियन आॅफ इण्डिया व अन्य एआईआर 1993 एससी 2127 के मुकदमे में उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेशित किया है कि वह प्रदेश सरकार द्वारा जारी तिथि से सम्मान पेंशन दे। कोर्ट के आदेश पर मुकुंद लाल भण्डारी को ग्रांट पेंशन केन्द्र सरकार ने दिया। सेनानी पत्नी का कहना है कि उच्च न्यायालय में केवल तारीख पर तारीख मिल रही है और अभी तक किसी तरह की कोई सुनवाई नहीं की गयी है।
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